भारत में सुहागिन महिलाओं के लिए करवा चौथ का पर्व अत्यंत शुभ और पवित्र माना जाता है। यह दिन प्रेम, आस्था और समर्पण का प्रतीक है। इस दिन महिलाएँ अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए निर्जला व्रत रखती हैं।

इस वर्ष करवा चौथ 2025 का व्रत 10 अक्टूबर (शुक्रवार) को रखा जाएगा। कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 9 अक्टूबर की रात 10:54 बजे से प्रारंभ होकर 10 अक्टूबर की शाम 7:38 बजे समाप्त होगी।

करवा चौथ 2025: चंद्र उदय और शुभ मुहूर्त

द्रिक पंचांग के अनुसार, इस बार करवा चौथ पर चंद्र उदय का समय रात 8 बजकर 12 मिनट रहेगा। महिलाएं चांद निकलने के बाद पूजा करती हैं और अपने पति के हाथों से जल ग्रहण कर व्रत का समापन करती हैं।

शुभ मुहूर्त:

पूजन का समय: शाम 5:57 से 7:11 बजे तक

चंद्रोदय का समय: 8:12 PM

करवा चौथ का धार्मिक महत्व

यह पर्व केवल एक व्रत नहीं बल्कि पति-पत्नी के प्रेम, निष्ठा और आस्था का उत्सव है। इस दिन महिलाएं भगवान शिव, माता पार्वती, भगवान गणेश और कार्तिकेय की पूजा करती हैं। मान्यता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव की दीर्घायु के लिए इस व्रत का पालन किया था।

इसी कारण यह दिन “अखंड सौभाग्य” की प्राप्ति के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।

करवा चौथ व्रत की विधि

करवा चौथ का व्रत कठिन लेकिन अत्यंत फलदायी माना जाता है। महिलाएं इस दिन सुबह-सुबह उठकर स्नान करती हैं, नए वस्त्र पहनती हैं और पूरे दिन जल-अन्न का त्याग करती हैं।

पूजा विधि:

सोलह श्रृंगार का महत्व

करवा चौथ पर किया गया सोलह श्रृंगार नारी की सौभाग्य-संपन्नता और प्रेम का प्रतीक है। इसमें सिंदूर, बिंदी, चूड़ियाँ, काजल, मंगलसूत्र, पायल, मांग-टीका, नथ, बिछुए, मेहंदी, लाल साड़ी और गहने प्रमुख हैं। ऐसा माना जाता है कि सोलह श्रृंगार करने से देवी पार्वती की कृपा प्राप्त होती है और पति की आयु दीर्घ होती है।

सर्गी का महत्व और परंपरा

सर्गी करवा चौथ का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह सुबह सूर्योदय से पहले खाई जाने वाली थाली होती है, जिसे सास अपनी बहू को आशीर्वाद स्वरूप देती हैं।

सर्गी में फल, सूखे मेवे, पराठे, मिठाई और नारियल पानी शामिल होता है। यह पूरे दिन उपवास करने की शक्ति देता है और पारिवारिक संबंधों में प्रेम बढ़ाता है।

करवा चौथ पर बनाए जाने वाले व्यंजन

इस दिन घर में विशेष व्यंजन बनाए जाते हैं जो उत्सव का माहौल बनाते हैं:

इन व्यंजनों का आनंद व्रत खोलने के बाद पूरे परिवार के साथ लिया जाता है।

व्रत के नियम और सावधानियाँ

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