तिथि: 7 सितंबर 2025 से 21 सितंबर 2025 तक
महालय अमावस्या: 21 सितंबर 2025 (रविवार)

हर साल भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा के बाद प्रारंभ होकर अमावस्या तक चलने वाले 15 दिन को पितृ पक्ष कहा जाता है। इस अवधि में हम अपने पूर्वजों (पितरों) को श्रद्धांजलि देते हैं, तर्पण करते हैं और उनके मोक्ष के लिए प्रार्थना करते हैं।

पितृ पक्ष का आध्यात्मिक महत्व

हिंदू धर्म में यह माना जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान पितरों की आत्मा पृथ्वी पर अपने वंशजों से तर्पण की आशा करती है। इस दौरान सही विधि से किया गया तर्पण पितरों को तृप्त करता है और उनके आशीर्वाद से जीवन की अड़चनों से मुक्ति मिलती है।

पितृ तर्पण कैसे करें?

तर्पण से मिलते हैं कौन-कौन से लाभ?

महालय के दिन करें ये विशेष उपाय

अगर आप बार-बार आ रहे जीवन के संकटों से जूझ रहे हैं, बार-बार नौकरी में रुकावट, आर्थिक तंगी, रिश्तों में तनाव या किसी भी प्रकार का अकारण क्लेश महसूस कर रहे हैं, तो यह पितृ दोष के संकेत हो सकते हैं। पितरों की अशांति हमारे जीवन को प्रभावित कर सकती है — इसलिए यह समय है उन्हें सम्मान देने का और उनकी आत्मा की शांति के लिए सच्चे मन से तर्पण करने का।

लेकिन अगर आप तर्पण की विधि से अनजान हैं या आध्यात्मिक मार्गदर्शन की तलाश में हैं, तो मिलिए Dr. Deipti Garg से, वह एक अनुभवी एंजेल हीलर और स्पिरिचुअल गाइड हैं। Dr. Deipti Garg की Angel Healing Service आपके लिए एक दिव्य समाधान हो सकती है। Dr. Deipti Garg, एक अनुभवी और प्रसिद्ध spiritual healer हैं, जिन्होंने सैकड़ों लोगों की पितृ दोष संबंधी समस्याओं को हल किया है।

अगर आप भी पितृ दोष के कारण जीवन में रुकावटें महसूस कर रहे हैं —
तो आज ही संपर्क करें Dr. Deipti Garg से और अपने पितरों की आत्मा को शांति देकर अपने जीवन को नई ऊर्जा दें।

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